सत्य तुम, स्वप्न तुम, तुम निराशा-आशा अजित-जित, तृप्ति तुम, तुम अतृप्ति-पिपासा, आधी काया आग तुम्हारी, आधी काया पानी, अर्धांगिनी नारी! तुम जीवन की परिभाषा।| राजनीति का सुनहरा आकाश हो या बिजनेस का चमकीला गगन, अंतरिक्ष का वैज्ञानिक सफर हो या खेत-खलिहान का हरा-भरा आँगन, हर जगह आज की नारी अपनी चमक बिखेर रही है, […]